सखी ऐसी बात हुई मुझसे, कि साजन मुझसे रूठ गया,
बहुत देर तक न माना तो, मेरा सब्र का बाँध भी टूट गया.
मैं साजन के संग जा लेटी, वह करवट बदल के लेट गया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
साजन के बालों में हाथ फिरा, गर्दन और पीठ को चूम लिया
साजन के पेट नितम्बों पर, उंगली फिरा फिरा गुदगुदी किया
गाल चूम लेने की कोशिश पर, साजन ने गर्दन झकझोर लिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
मैं पीछे से सुन री ओ सखी, साजन से जोरों से से लिपट गई,
मैंने उँगलियाँ अपनी सखी बार बार, साजन के सीने पे फेर दई,
उसके नितम्बों को अपने अंग से, दबाया और फिर रगड़ दिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
साजन सखी गुस्से में डूबा, निष्क्रिय सा बिलकुल लेटा रहा,
मेरे हर चुम्बन पर लेकिन सखी, गहरी-गहरी सांसें वह लेता रहा,
मैंने अपने हाथों को सुन री सखी, नीचे की तरफ अब बढ़ा दिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
मेरी चंचल उँगलियाँ जैसे ही, साजन की नाभि तक पहुंची,
साजन के बदन में थिरकन हुई, लहरें उकसी अंग तक पहुंची
अन्तः वस्त्र में अब हाथ ड़ाल, साजन का उत्थित अंग पकड़ लिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
साजन का दस अंगुल का अंग, सखी अब मेरी मुट्ठी में था,
उँगलियों हथेली से मैंने उसको, दबाया-खिलाया और मसला था,
साजन ने लेटे-लेटे ही अंग को, छुड़ाने का एक यत्न किया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
साजन का अंग पकडे पकडे, सखी मैं अब उठकर बैठ गई,
अंग को पकडे पकडे ही सखी, मैं जैसे साजन पर लेट गई,
एक हाथ से उसका अंग पकड, हर अंगुल पर अंग चूम लिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
उसके अंग को तरह तरह चूमा, फिर मै ऊपर की ओर बड़ी
पेडू-नाभि-सीने से होकर, मैं साजन के मुख तक जा पहुंची
चुम्बन लेकर कई होठों पर, जिह्वा मुख में सखी घोल दिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
मुख में मैंने जो रस डाला, उसकी प्रतिक्रिया अंग पे देखी,
अंग की कठोर मोटाई से, सखी भारी हो गई मेरी मुट्ठी,
मदहोशी से अभिभूत अंग, ठुमके लगा-लगा कर मचल गया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
साजन ने दोनों हाथों से, मेरे मुख को सखी री भीच लिया,
अपना मुख मेरे मुख अन्दर कर, जिह्वा होठों से खीच लिया
साजन की पहल ने बदन मेरे, सखी चक्रवात कई उठा दिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
साजन सखी उठकर बैठा और, बेताबी से मुझे निर्वस्त्र किया
साजन की इस बेसब्री को, मैंने सांसों -हाथों में महसूस किया
घुटनों के बल उठकर उसने, मुझे बाँहों में अपनी भीच लिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
जिस काम में लगते मिनट सखी, उसमे कुछ ही सेकण्ड लगे,
मेरी अंगिया-चोली-दामन कुछ भी, सखी अब न मेरे बदन रहे,
मैंने भी जरा न देर करी, उसके सारे वस्त्र उतार दिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
उसके उत्थित अंग को मैंने, दोनों स्तन जोड़कर पकड़ लिया
रक्तिम जलते उसके अंग को, मांसलतम अंग से मसल दिया
साजन का बदन स्फुरित होकर, जैसे था कि कंपकपाय गया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
अंग की दृढता से कोमलतम, मेरे स्तन दहके और छिले
उसका अंग स्थिर बना रहा, मेरे स्तन ही उस पर फिसले
दृढता-मादकता-कोमलता, एक जगह जुड़े सुख गूंथ लिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
उत्थित अंग से मैंने स्तनों पर, वृत-आयत-त्रिकोण सब बना लिए,
दस अंगुल के दृढतम अंग ने, स्तनों को कई नए उभार दिए
साजन के आवेगी आलिंगनो ने, मुझे समर्पण को मजबूर किया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
मुझको बाँहों में लपेट-पकड़, वह अपने तन में था गूंथ रहा
नितम्ब छोड़े या स्तन पकडे, सखी उसको कुछ भी न सूझ रहा,
उसने बेसब्री में सख्त हाथ, मेरे अंग पे कई बार फिराय दिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
घुटने के बल साजन था खड़ा , मैं वैसे ही उठकर खडी हुई
दोनों के मध्य किंचित दूरी, दबावों से सखी समाप्त हुई ,
सख्त हाथों के कई कई फेरे, नितम्बों से स्तन तक लगा दिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
कंधे-गर्दन-आँखें-गाल-होठ, चुम्बनों से सखी सब दहक गए
मेरे अतिशय गोरे गालों पर, चुम्बन के निशान से उभर गए
होठों में दौड़ा रक्त और, गालों को गुलाबी बना गया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
रुई के फाहे से गुदगुदे स्तन, पके अमरुद की तरह कठोर बने
बोंडियों में गुलाबी पन आया, वो भी सख्त हुए और खूब तने
साजन के हाथों को पकड़ सखी, मैंने स्तन उनमे थमाय दिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
अन्दर तक मुंह में जिह्वा घुसा, एक हाथ से स्तन दबा लिया
एक हाथ से उन्नत नितम्बों को, सहलाया-भीचा और छोड़ दिया
ऐसे मसले स्तन और नितम्ब, मुह ने सिसकी स्वतः ही छोड़ दिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
साजन ने अपनी कलाई पर, नितम्बों के जरिये मुझे उठा लिया
अब मेरे स्तन पर सुन री सखी, चुम्बन की झड़ी लगाय दिया
दोनों स्तन होठों से चूस चूस, मुख-रस से उन्हें भिगाय दिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
दोनों स्तन का इंच इंच, सखी साजन ने मुंह से चूसा
होकर बेसब्र मेरी बोंडियों को , जिह्वा होठों से दबा दबा खींचा
मैं पीछे को झुक गई सखी, स्तन से रस टपक टपक गया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
साजन के दंतन – चुम्बन से, गोरी छाती पर कई चिन्ह बने
मर्दन के सुख से मेरे स्तन, रक्तिम रसभरे कठोर बने
बारी बारी से दोनों स्तन, भांति-भांति दबाया रस चूस लिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
नितम्बों के सहारे कलाई से, मुझको ऊपर और उठा लिया
मेरी नाभि और पेडू पर उसने, रसीले कई चुम्बन टांक दिया
मैं तो अब खड़ी हो गई सखी, और पावों को फैलाय दिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
मैं अपनी दोनों टाँगें रखकर, साजन के कन्धों पर बैठ गई ,
मेरे अंग पर सखी साजन ने, चुम्बन की कतारें बना दई ,
मैंने नितम्बों से देकर दबाव, अंग को होठों में ठूस दिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
सखी साजन ने जिह्वा रस से, अंग पूर्णतया लिपटाय दिया
जिह्वा से रस निकाल निकाल, अंग पर सब तरफ फैलाय दिया
नितम्बों की घाटी से चल जिह्वा ने, अंग की गहराई नाप लिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
सखी मेरे पीठ और कम्मर की, उसकी बाहें ही सहारा थीं
उसकी जिह्वा ने मेरे अंग में , रस की छोड़ी कई धारा थीं
मैंने उई माँ कहकर कई कई बार , जिह्वा को अंग में डुबा लिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
सखी साजन अब उठकर खड़ा हुआ, मुझको उसने बैठाय दिया
मैंने घुटनों के बल उठकर, उसके अंग को होठों से प्यार किया
दोनों हाथों से पकड़ा उसको, सखी मुख में अपने ढाल लिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
हाथों से पकड़कर अंग उसका , मुंह में चहुँ ओर घुमाय लिया
जिह्वा होठों को संयुक्त कर , अंग को रस से लिपटाय लिया
साजन ने पकड़कर सिर मेरा , अंग मुख में अति अन्दर धांस दिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
मैंने साजन के नितम्ब सखी , दोनों हाथों से अब पकड़ लिए ,
अंग को मुख से पकडे – पकडे , नितम्ब साजन के गतिमान किये
साजन ने मनतब्य समझ मेरा , स्पंदन क्रमशः तेज किया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
साजन ने सखी मेरे मुख को , जैसे मेरा अंग बनाय दिया
मैंने आनंदमय आ-आ ऊं-ऊं कर , साजन को और उकसाय दिया
साजन ने अपनी सी-सी आह-ओह , सांसों की ध्वनि में मिला दिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
अंग जैसे ही अन्दर जाता , मैं जिह्वा से लपेट लेती उसको
बाहर आता तो दांतों के संग , होठों से पकड़ती थी उसको
अंग से छूटे मुख के रस ने , साजन के उपांग भिगाय दिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
मेरे मुख के अन्दर सखी साजन ने , अति तीब्र किये कई स्पंदन
मैंने उई आह सिसकारी ली , साजन ने गुंजाये कई हुन्कन
फिर हौले से मुझको लिटा सखी , मुख पर अंग सहित वो बैठ गया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
मैं लेटी तो पर मैंने सखी , मुंह से उसका अंग न छोड़ा ,
साजन ने उत्तेजना वशीभूत , स्पंदन का क्रम भी न तोडा
कभी दायें से कभी बाएं से , उग्र दस अंगुल मुख में ठेल दिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
मेरे मुख ने सखी साजन के , अंग का रसास्वादन खूब किया
दांतों होठों और जिह्वा से , मैंने अंग को कई तरफ से पकड़ लिया
मुख से निकाल दस अंगुल को , उसने मेरे अंग के मध्य पिरोय दिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
मेरी कम्मर के पास सखी , कुहनी रखकर कंधे पकडे
उधर रस में तर दस अंगुल को , रसभरा अंग दृढतर जकड़े
नितम्ब स्वतः बहककर उचक गए , होठों ने फू फू फुकार किया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
लिसलिसे व चिकने अंगों में , उत्तेजना थी ज्यों ठूंस ठूंस भरी
यह गुस्सा था उसका री सखी , या मेरे प्यार की सफल घडी
सखी मैंने अपनी दोनों टांगों को , उसकी जांघों पर ढाल दिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
मैंने साजन का ये उग्र रूप , सखी नहीं कभी भी देखा था
ऊँचे – गहरे अघात वो करता था , पर दम लेने को न रुकता था
स्पंदन जो प्रारंभ किया , तो पल भर भी न सांस लिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
न जाने कितनी आह ओह , कितनी सीत्कार मुख से निकलीं
रसभरे अंगों के घर्षण से , कई मदभरी मोहक ध्वनि निकलीं
थप – थप की क्रमबद्ध ताल सखी , उखड़ी सांसों में मिला दिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
अंतर थप – थप की ध्वनि का , कम होता था न घटता था
खडपच – खडपच ध्वनि का स्वर भी , उई आह ओह संग चलता था
चीख सदृष दीर्घ आह के संग , मैंने आँखें मूंदी मुख खोल लिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
सीत्कार , थाप , मुख की आह ओह , सांसों की गति अति तीब्र हुई
अंगों के मिलने की चरम घडी , बदन की थिरकनों में अभिव्यक्त हुई
अंतिम क्षण में सखी सुन साजन ने , नितम्बों को दबा क्रम रोक दिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
चलते अंग में जब अंग रुका, सुख छूट गया अतिशय उछला
उसका गुस्सा अब पिघल पिघल, अंग से निकला मेरे अंग में घुला
ऐसे गुस्से पे वारी मैं, जिसने सुख सर्वत्र बिखेर दिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
सांसों की ध्वनि को छोड़ सखी , अब चारों तरफ शांति थी
मैं अब भी साजन की बाँहों में , सखी गोह की भांति चिपकी थी
साजन ने नितम्बों का घेरा , कुछ कुछ ढीला अब छोड़ दिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
एक हाथ से पकड़कर स्तन को , साजन ने मेरा मुख चूम लिया
बोला और भला क्या चाहे तू , मैंने सब कुछ तुझे प्रदान किया
कहा मैंने तू यूँ नित रूठा कर , और उसको बाँहों में घेर लिया
उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अंगिया.
---------------------------------------------------------------------------------------------- hindi jokes, comedy jokes, funny jokes, Funniest Boy Girl Jokes,Solid Bheja Fry Funny Hindi Jokes, Jokes in Hindi, Student Teacher Joke In Hindi, santa banta jokes, santa banta funny jokes, Latest Hindi Double mean Jokes for Whatsapp, hindi jokes, comedy jokes, funny jokes, attitude jokes, attitude whatsapp status, funny romantic shayari sms pic, unny photos for facebook in hindi Funny And Amazing Pictures on Funny Pictures Jokes In Hindi For Facebook, FUNNY QUOTES FOR FB IN HINDI on Funny Images With Hindi Quotes For Facebook, Funny hindi jokes,Funny Jokes Quotes,Funny pictures quotes,funny hindi jokes,funny food,funny happy birthday,christmas funny facts,christmas wishes greetings,christmas wishes messages,christmas picture pose ideas,christmas theme,christmas tree picture,2010, Crazy Funny Pictures Jokes In Hindi, Funny Mobile SMS Jokes in Hindi Pictures, best hindi jokes hindi jokes pics latest hindi jokes marwadi jokes hindi pathan jokes hindi, funny hindi picture jokes facebook wallpaper, Funny Mobile SMS Jokes in Hindi Picture, Here very Funny Winter Jokes in hindi. Get here Populer and Latest Thand Jokes in hindi font, Summer Season Jokes in Hindi, Funny Joke in Hindi, Hindi Jokes, Cricket Funny Jokes in Hindi, Funny Hindi Joke on Boy, Funny Girlfriend Hindi Jokes,Hindi Jokes For Facebook Friends | Hindi Jokes, Girlfriend and Boyfriend are always part of comedy, so here are some jokes on boyfriend girlfriend., Pati-Patni or Kabutar Joke in Hindi, Boy and Girl Hindi Joke Picture, हिंदी जोक्स : चुटकुले – Jokes in Hindi – Very Funny Hindi Jokes, santa jokes, sali jokes, funny jokes, April Fools Day Jokes in Hindi For Whatsapp, Solid Bheja Fry Funny Hindi Jokes, Desi Jokes in Hindi for Whatsapp and FB Friends, Funny Mobile SMS Jokes in Hindi Pictures,