Thursday 21 January 2016

#‎लैंडलाइन_वाला_प्यार‬



जहाँ मेरा लैंडलाइन कभी घर में रखा जाता था वहाँ दीवारों पर तुम्हारे घर का नम्बर, तुम्हारी सहेलियों के घर का नम्बर अभी भी पेन्सल से लिखा हुआ है बस एक दो रंगाई की वजह से बहुत धुँधला सा हो गया है।काश तब मोबाइल इतने सस्ते होते या फिर पापा कुछ ज़्यादा पैसे ही दे देते तो मोबाइल ख़रीद सकता उसमें रीचार्ज करा पाता।हमारा प्यार भी तो उसी दौर का था जब लव लेटर आउट डेटेड हो रहे थे और मोबाइल का युग आ चुका था। बहुत असमंजस की स्थिति होती थी तब जब वीकेंड आता था या फिर तुम कोई सवाल पूछती थी और उसका जवाब देने के लिए मुझे अगले दिन टूइशन या कॉलेज में लवलेटर अदला बदली करने तक इंतज़ार करना पड़ता था।पर कुछ समय बाद ऊपर वाले ने भी हम लोगों की इस समस्या का हल निकाल दिया मोबाइल के आने के बाद पापा ने लैंडलाइन पर से लॉक हटा दिया।अब हम रोज घंटो बात करते थे हालाँकि हम दोनो की मम्मी कुछ देर बाद डाँटना शुरू कर देती थी शाम को पापा के आने पर शिकायत करेंगी इस टाइप की धमकियाँ भी मिलने लगती थी। कौन है किस दोस्त/सहेली से बात कर रही हो तमाम सवाल भी एक साथ जड़ देती थी।हम भी तो बहुत शरारती थे हम लोग दोपहर का इंतज़ार करते जब हमारी मम्मी सो जाए फिर लैंडलाइन का वॉल्यूम कम करके फ़ोन का इंतज़ार करते और मम्मी के जगने तक लम्बी लम्बी बातें करते।अब मेरे पास लैंडलाइन नही है अब ख़ुद का मोबाइल है और तुम्हारे पास भी होगा पर ना तुम मेरा नम्बर जानती हो ना मैं तुम्हारा।अब मम्मी भी बात करने पर पापा से शिकायत नही करेंगी। एक बार और टूइशन या कॉलेज में आ जाओ तुम्हारी नोट्स के पीछे वाले पेज पर मैं अपना नम्बर लिख दूँगा फिर हम रोज़ घंटो बातें करेंगे।मैं जानता हूँ कि अब बहुत देर हो चुकी है और तुम अब किसी और की हो चुकी हो।
‪#‎लैंडलाइन_वाला_प्यार‬

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