मीठे गुड़ मे मिल गयीं तिल, उडी़ पतंग और मिल गये दिल , हर पल सुख और हर दिन शांति , आपके लिए शुभ मकर संक्रान्ति
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मकर संक्रांति :
देवताओं का प्रभात काल भारत में हर पर्व पूरी श्रद्धा, आस्था, उल्लास और उमंग के साथ मनाया जाता है। पर्व और त्योहार हर राष्ट्र की संस्कृति और सभ्यता को उजागर करते हैं। यहां पर पर्व, त्योहार और उत्सव हर प्रदेश में अलग-अलग ढंग से मनाए जाते हैं। सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना 'मकर संक्रांति' कहलाता है। इसी दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। शास्त्रों में उत्तरायण की अवधि को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि कहा गया है। इस तरह मकर संक्रान्ति एक तरह से देवताओं का प्रभात काल है। इस दिन स्नान, दान, जप, तप, श्राद्ध और अनुष्ठान वगैरह का अधिक महत्व है। कहते हैं कि इस अवसर पर किया गया दान सौ गुना होकर प्राप्त होता है। मकर संक्रान्ति के दिन गंगाजल सहित शुद्ध जल से स्नानादि के के बाद भगवान चतुर्भुज का पुष्प-अक्षत और कई द्रव्यों के अध्र्य सहित पूजन करके मंत्र जप विष्णु सहस्त्र नाम स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। इस दिन धृत, तिल, कंबल और खिचड़ी के दान का विशेष महत्व है। इसका दान करने वाला संपूर्ण भोगों को भोगकर मोक्ष को प्राप्त होता है।
गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर तीर्थ राज प्रयाग में 'मकर संक्रांति' पर्व के दिन सभी देवी-देवता अपना स्वरूप बदल कर स्नान के लिए आते हैं। वैसे हर साल मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को ही मनाया जाता है लेकिन इस बार चूंकि सूर्यदेव 14 जनवरी की रात की मध्यरात्रि के बाद 1.26 बजे ही मकर राशि में प्रवेश करेंगे इसलिए संक्रांति का पर्व अगले दिन यानी 15 जनवरी को ही मनाया जाएगा। खगोल शास्त्रियों के अनुसार इस दिन सूर्य अपनी कक्षाओं में परिवर्तन कर दक्षिणायन से उत्तर होकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, जिस राशि में सूर्य की कक्षा का परिवर्तन होता है, उसे 'संक्रमण' या 'संक्रांति' कहा जाता है।
हमारे धर्म ग्रंथों में स्नान को पुण्यजनक के साथ-साथ स्वास्थ्य की दृष्टि से भी लाभदायक माना जाता है। मकर संक्रान्ति से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं, गरम मौसम आरंभ होने लगता है, इसलिए उस समय स्नान सुखदायी लगता है।
भारतीय ज्योतिष के अनुसार मकर-संक्रान्ति के दिन सूर्य के एक राशि में दूसरी राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर हुआ परिवर्तन माना जाता है। मकर संक्रान्ति से दिन बड़ा होने से प्रकाश अधिक होगा और रात्रि छोटी होने से अंधकार की अवधि कम होगी।