मौका ऐसे भी, न कभी गंवाते रहिये;
वक्त पर किसी के काम, आते रहिये!
कोई कैसे पढ़ेगा, आपके चेहरों को;
ग़म में यूं इस तरह, मुस्कराते रहिये!
जाने कब कहाँ, धोका देदे जिन्दगी;
मेलजोल अपनों से भी, बड़ाते रहिये!
बुरे कर्मों का फ़ल, भुगतना पड़ेगा ही;
गंगा में ख़ूब डूबकियां, लगाते रहिये!
इससे बड़के पुण्य का, काम क्या होगा;
गिरे हुये को अक्सर ही, उठाते रहिये!