एक रीयल घटना
पान की दुकान पर खड़े एक तिलकधारी ब्राह्मण से बातचीत के कुछ अंश
मैने पूछा, "कुछ कमाते-धमाते हो, या यूं ही चन्दन लगाये घूमते रहते हो?"
वह बोला - क्यों?
मै बोला, "कुछ कमाओगे, धमाओगे तभी तो शादी के लिये कोई लड़की मिलेगी."
वह बोला, "शादी तो हो गई"
कैसे ..??
वह बोला, "सालों हो गये, बगलवाले गांव के महादेव मंदिर के पुजारी की बेटी से ! मोटी पार्टी थी. सैट करके प्रेग्नेंट कर दिया, बस फिर क्या था, उसके बाप ने कर दी शादी. मैं आखिर उनकी जाति का ही बन्दा था"
मैं बोला, "फिर बाल बच्चों के लिये कमाओ."
वह बोला - "हम कमाने लगे, तब आप लोगों के यहाँ शादी ब्याह, सत्यनाराण कथा, गृहप्रवेश, नामकरण वगैरह कौन करवाएगा?"
मैने बोला, "बच्चों की पढ़ाई लिखाई के लिये कमाओ."
वह बोला उनके लिये पढ़ाई और भोजन की कोई टेंशन ही नहीं है क्योंकि दान दक्षिणा इतना आ जाता है कि घर में रखने की जगह नहीं होती. इस साल लड़के को डोनेशन से एक प्राइवेट मेडिकल काॅलेज में MBBS में एडमीशन दिलवाया है. छोटी लड़की को अभी स्कूटी मिली है.
मैंने पूछा कहाँ से?
वह बोला - "अरे यार तुमने देखा नहीं सामने चौराहे पर स्कूटी का नया शोरूम खुला है. अपने जानने वाले मित्तल जी का है, इसके आलावा उनके पूरे भारत में 100 से ज्यादा शोरूम है. उन्हीं के यहाँ शोरूम के उद्घाटन पर पूजा करवाई थी, दक्षिणा में बेटी को स्कूटी मिल गई."
मै झुझला कर बोला, "यार सब कुछ तुम्हें हरामखोरी से ही मिल जाता है, कम से कम अपनी मेहनत की कमाई से माँ बाप को तीर्थयात्रा तो करवा दो."
वह बोला, "दो धाम तो करवा दिये. अपने गर्ग साहब के लड़के का ट्रैवल का बिजनेस है, उसी ने पिछले साल कहा कि पंडित जी चाचा, चाची को तीर्थ करवाना हो तो बता देना, बस भेज दिया फ्री ऑफ काॅस्ट."
मुझे गुस्सा आया और मैंने बोला- "माॅ बाप के मरने के बाद जलाने के लिये तो कमा."
वह बोला, "भाई लकड़ी की कमी नहीं है, अपने अग्रवाल साहब की बड़ी टाल कब काम आएगी?"
मैंने कहा, "अपने बच्चों की शादी के लिये कमा."
वह मुस्कुराया और बोला - "फिर वहीं आ गये... वैसे ही होगी जैसे मेरी हुई थी."
"यार, एक बात बता, ये इतने अच्छे कपड़े तू कैसे पहनता है?"
वह बोला, "राज की बात है. फिर भी मै बता देता हूँ."
"सरकारी जमीन पर कब्जा करो, मंदिर बनाओ और फिर मंदिर की कमाई से जमीन खरीदो, उस जमीन पर दुकानें बनवाओ और उन्हें किराये पर चढ़ा दो. डबल आमदनी !!" ज्यादा कोई 3- 5 करे तो साले को धार्मिक भावनाओं की आड़ में पिटवा दो या झूठे मामले में अंदर करवा दो, फिर लाख दो लाख समझौता करने के लिए ऑफर आ ही जाता है.