हम ने एक बहुत खुबसूरत पड़ोसन को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी,..एक्सेप्ट नही की.
बार बार भेजता रहा,
कोई भाव नही मिला!!
आयडिया आया "ऐंजेल प्रिया" टाइप की नई आई डी बनाकर रिक्वेस्ट भेजी….
एक्सेप्ट कर ली गई,
गपशप होने लगी!!
रोज का नियम बन गया,
फूला नही समा रहा था!!
एक दिन विवाह समारोह में पड़ोसन को देखकर कहा!!
"क्या बात है..भाभी जी …!!!
सोशल मीडिया पर तो आपकी धमाल है!!
आपके स्टेटस और चित्र पर लाइक्स और कमेंट्स की बाढ आ जाती है!!
वो बोली…
….
.
"अजी कहां वक्त मिल पाता है!!
मै तो महिनो से फेसबुक यूज नही कर पाई…
मेरी आई डी.. आपके भाई साहब चला रहे है"
कसम से, भाई साहब को देखता हूं तो जहर जैसा लगता है!!
बार बार चैट में की गई गपशप याद आती है!!
हरामखोर कहीं का…. ऊपर वाले का भी डर नही ऐसे लोगों को!!