Tuesday 5 July 2016

hindi story सरपंच *****सोसल इवेंट

सरपंच *****सोसल इवेंट
कन्हैया राम चौधरी गांव की सरपंची पर नजर गाढ़े हुए था।वह अपने पिता जी की सरपंची का अनुभव भी खूब रखता था। गांव में जाति पाति पर ही सारा इलेक्शन बंट गया था। उसने अपनी जाति के उम्मीदवारों को पाट लिया और ब्राह्मण,बनिया से समर्थित एक पंजाबी उमीदवार को एक तरफा पटखनी दी और गांव का सरपंच बन गया। सरकारी ग्राम सचिव का पद खाली था।उसने अपने मित्रो की बैठक बुलाई और एक अच्छा लेखाकार ढूंढने के लिए कहा। पास ही बैठे भूंडू ने कहा-"हाँ, सरपंच साहब ,अपने अमृता मास्टर का बडा लड़का है,बहुतो पढ़ा लिखा है,उसे रख लेते है।"
सरपंच कन्हैया राम बोल्या-" बावले, ये अपनी जाति के लौंडे पढ़े लिखे भी मोलड बराबर है, उनसे वोट मिल जाएं ,वही काफी है, ये सरकारी काम है , कागजो का पेटा भरना पड़ता है, मूर्खो ,किसी ब्राह्मण बनिया को देखो,वो हमारे दुश्मन थोड़े ही है। वोटो में तो ऐसे ही चलता रहता है ,छत्तीस बिरादरी के लोग आपस में भाई भाई "

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