मेरे पिता.....
पिता रोटी है,कपड़ा है,मकान है ।
पिता नन्हे से परिंदे का खुला आसमान है ।
पिता है तो प्रतिपल घर मे राग है ।
पिता से माँ की बिंदी, चूड़ी और सुहाग है ।
पिता है तो सारे सपने है ।
पिता है तो बाजार के सारे खिलौने अपने है ।
पिता ही वो शख्स होता है जो अपने बच्चों को अपने से आगे निकलता देखना चाहता है ।।
Happy Father's Day.......
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पिता रोटी है,कपड़ा है,मकान है ।
पिता नन्हे से परिंदे का खुला आसमान है ।
पिता है तो प्रतिपल घर मे राग है ।
पिता से माँ की बिंदी, चूड़ी और सुहाग है ।
पिता है तो सारे सपने है ।
पिता है तो बाजार के सारे खिलौने अपने है ।
पिता ही वो शख्स होता है जो अपने बच्चों को अपने से आगे निकलता देखना चाहता है ।।
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