नदी के किनारे पहुंचने के बाद मछली पकड़ने
गये आदमी को मालूम पड़ा कि वो मछलियों
के लिए चारा लाना तो भूल ही गया।
तभी उसने एक छोटे से सांप को वहां से
गुज़रते देखा जो अपने मुंह में एक कीड़ा पकड़े
हुआ था।
आदमी ने सांप को पकड़ा और उसके मुंह से वह
कीड़ा छीन लिया। लेकिन यह सोचकर कि
बेचारे सांप के पास खाने को कुछ नहीं है उसे
थोड़ा बुरा लगा और उसने फिर से सांप को
पकड़ा और उसके मुंह में थोड़ी दारू टपका
दी कि चलो यह थोड़ा ग़म भूल जाएगा।
फिर वो मछली पकड़ने में जुट गया।
करीब एक घण्टे बाद आदमी को लगा कि
कोई उसकी पैंट हल्के से खींच रहा है। नीचे
देखने पर उसने उसी सांप को पाया जो मुंह
में तीन कीड़े पकड़े हुआ था और बड़ी आशा से
उसकी तरफ़ देख रहा था।
*दारू चीज़ ही ऐसी है*
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गये आदमी को मालूम पड़ा कि वो मछलियों
के लिए चारा लाना तो भूल ही गया।
तभी उसने एक छोटे से सांप को वहां से
गुज़रते देखा जो अपने मुंह में एक कीड़ा पकड़े
हुआ था।
आदमी ने सांप को पकड़ा और उसके मुंह से वह
कीड़ा छीन लिया। लेकिन यह सोचकर कि
बेचारे सांप के पास खाने को कुछ नहीं है उसे
थोड़ा बुरा लगा और उसने फिर से सांप को
पकड़ा और उसके मुंह में थोड़ी दारू टपका
दी कि चलो यह थोड़ा ग़म भूल जाएगा।
फिर वो मछली पकड़ने में जुट गया।
करीब एक घण्टे बाद आदमी को लगा कि
कोई उसकी पैंट हल्के से खींच रहा है। नीचे
देखने पर उसने उसी सांप को पाया जो मुंह
में तीन कीड़े पकड़े हुआ था और बड़ी आशा से
उसकी तरफ़ देख रहा था।
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