कभी बैठो संग मेरे..कुछ हिसाब करें,
यकीं जो ना हो ज़ुबान पर..
तो गवाहों की एक किताब करें..
सफ़ा-सफ़ा सफ़र लिखें,
खफ़ा-ख़फ़ा सहार लिखें..
तेरे हर झूठ को वफ़ा लिखें,
मेरे हर सच को दगा लिखें..
बेवफ़ा हर पत्थर को ख़ुदा लिखें,
बेजुबा हर आयत को दुआ लिखें..
हाथ के उस खंजर को ज़ुबाँ लिखें,
साथ के हर मंज़र को धुआँ लिखें..
तुझे हर सूरत में अदा लिखें,
मुझे हर सीरत में ख़फ़ा लिखें..
गुज़रती हर रात को शमा लिखें,
बरसती हर गाह को अता लिखें..
जो वादे पूरे करें..उनको जमा लिखें,
जिनसे मुकर गये..उनको ख़र्चा लिखें..
कभी बैठो संग मेरे कुछ हिसाब करें.....!!!!