Tuesday, 6 June 2017

Motivational Story - प्यारा रिश्ता होता है - बाबा एवं पौत्र का !

एक बहुत ही सरल, सुलभ, मनमोहक एवं प्यारा रिश्ता होता है - बाबा एवं पौत्र का !

बाबा बनने का सौभाग्य तब मिलता है जब हम चौथापन में पदार्पण करते हैं ! इस समय में मनुष्य अपनी कांती , ओज एवं शारीरिक शक्ति निरंतर खोने लगता है ! उसमें उदासीनता की भावना बढ़ने लगती है ! मित्र , बन्धु -बांधव विछ्ड़ने लगते हैं ! इस स्थिति में भगवान की असीम अनुकम्पा होती है और एक पौत्र का आगमन होता है !

पौत्र , बाबा पर इतना विश्वास करता है कि उसे कोई डर , भय नहीं लगता और वह पूर्ण रूपेण आस्वस्थ रहता है कि जबतक बाबा हैं उसका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता ! अपने हर हार- जीत में बाबा की ओर ही निहारता है - अगर बाबा खुश हैं तब वह अपना जीत समझता है और जब बाबा दुःखी दीखते हैं तब वह अपना हार समझता है ! अपने बाबा को वह ब्रांडेड समझता है ! बाबा के कार्य-कलाप , चलना-फिरना , बात-चित करने के अदा का नकल करता है ! उसे पूर्ण विश्वास होता है कि जो कार्य और नहीं कर सकते वह कार्य बाबा अवश्य पूरा कर देंगें !

दिनचर्या के अनुसार सुबह, दोपहर एवं शाम मेरे गोदी में बैठकर राम धुन एवं शिव धुन गाता है ! कल मैं अस्वस्थ था , अतः सोया था ! शाम के नियत समय पर मेरा अंगुली पकड़कर पूर्ण अधिकार के साथ मुझे संध्या बंदन के लिए ले गया और बंदन के बाद मैं अच्छा मह्शूश करने लगा ! आज सुबह वह चला गया है ! पूजा के समय लाख कोशिश करने के पश्चात भी राम धुन एवं शिव धुन नहीं कर पाया ! आँखे भर आयी , गला थम गया ! फिर कोशिश किया कि कोई अन्य मन्त्र का जाप करूँ - पर नहीं कर पाया !

ॐ नमः शिवाय !एक बहुत ही सरल, सुलभ, मनमोहक एवं प्यारा रिश्ता होता है - बाबा एवं पौत्र का !

बाबा बनने का सौभाग्य तब मिलता है जब हम चौथापन में पदार्पण करते हैं ! इस समय में मनुष्य अपनी कांती , ओज एवं शारीरिक शक्ति निरंतर खोने लगता है ! उसमें उदासीनता की भावना बढ़ने लगती है ! मित्र , बन्धु -बांधव विछ्ड़ने लगते हैं ! इस स्थिति में भगवान की असीम अनुकम्पा होती है और एक पौत्र का आगमन होता है !

पौत्र , बाबा पर इतना विश्वास करता है कि उसे कोई डर , भय नहीं लगता और वह पूर्ण रूपेण आस्वस्थ रहता है कि जबतक बाबा हैं उसका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता ! अपने हर हार- जीत में बाबा की ओर ही निहारता है - अगर बाबा खुश हैं तब वह अपना जीत समझता है और जब बाबा दुःखी दीखते हैं तब वह अपना हार समझता है ! अपने बाबा को वह ब्रांडेड समझता है ! बाबा के कार्य-कलाप , चलना-फिरना , बात-चित करने के अदा का नकल करता है ! उसे पूर्ण विश्वास होता है कि जो कार्य और नहीं कर सकते वह कार्य बाबा अवश्य पूरा कर देंगें !

दिनचर्या के अनुसार सुबह, दोपहर एवं शाम मेरे गोदी में बैठकर राम धुन एवं शिव धुन गाता है ! कल मैं अस्वस्थ था , अतः सोया था ! शाम के नियत समय पर मेरा अंगुली पकड़कर पूर्ण अधिकार के साथ मुझे संध्या बंदन के लिए ले गया और बंदन के बाद मैं अच्छा मह्शूश करने लगा ! आज सुबह वह चला गया है ! पूजा के समय लाख कोशिश करने के पश्चात भी राम धुन एवं शिव धुन नहीं कर पाया ! आँखे भर आयी , गला थम गया ! फिर कोशिश किया कि कोई अन्य मन्त्र का जाप करूँ - पर नहीं कर पाया !

ॐ नमः शिवाय !

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