एक बार अकबर के दरबार में एक रंडी ने मुजरा किया।
वो बड़ी ही कंटीली नचनिया थी।
इतनी जोर से नाची के सबके टट्टे शोर्ट हो गये और लंड फूल गए।
अकबर बहुत खुश हो गया।
उसने रंडी को कहा : "जमनाबाई, बोल तुझे क्या इनाम चाहिए मेरी जान? सोना-चाँदी, हीरे-मोती, जागीर.. क्या चाहिए, बोल। अगर तेरी किसी से दुश्मनी हो तो भी बता दे, उसकी बहन चोद दी जायेगी"।
रंडी बहुत खुश हुई मुँह मांगे इनाम की बात सुन के।
पर वो बहुत ही भेनचोद किस्म की औरत थी।
उसके गांडू दिमाग में तो कुछ और ही था।
वो अकबर से बोली : "जहाँपनाह, जान की सलामती मिले तो कुछ अर्ज़ करुँ"।
अकबर वैसे ही उसके नाच पे बहुत सेंटी था।
वो बोला : "जो मर्ज़ी मांग, जमना डार्लिंग"।
रंडी बोली : "जहाँपनाह, मुझे आपकी राजगद्दी पे टट्टी करनी है"।
एक बार तो अकबर को समझ ही नहीं आया कि क्या यह रंडी बावली गांड तो नहीं हो गयी?
लेकिन वो मना भी नहीं कर सकता था, प्रोमिस जो कर दिया था।
उसने रंडी को कुछ और मांगने के लिए कहा, पर रंडी भी बहुत हरामखोर थी, वो नहीं मानी।
अकबर भी बेचारा क्या करता, उसने 15 दिन बाद की डेट दे दी।
उसने सोचा कि बाद में रंडी पे प्रेशर डलवा के केंसल करवा देगा, पर बहेन की लौड़ी मान ही नहीं रही थी।
जब टट्टी-डे नज़दीक आ गया, अकबर की गांड बहुत ज्यादा फट गयी।
उसने उस वक़्त बीरबल को याद किया।
उसने बीरबल से कहा कि अब मुग़ल सल्तनत की इज्ज़त उसी के हाथ में है।
बीरबल ने भी अकबर को प्रोमिस कर दिया कि चाहे उसे अकबर की माँ बहन चोदनी पड़े, वो मुग़ल सल्तनत की इज्ज़त पे आंच नहीं आने देगा।
अकबर भी निश्चिंत हो गया कि माँ बहिन चुदे तो चुदे, कम से कम रंडी हग तो न सकेगी गद्दी पर।
फाईनली टट्टी -डे आ गया।
अकबर तो रात भर सो भी नहीं सका।
भेनचोद की खुद की टट्टी बंद हो गयी।
सुबह -सुबह रंडी ने दरबार में ग्राण्ड एंट्रेंस मारा।
कहने लगी : "जहाँपनाह, मैं तीन दिन से नहीं हँगी हूँ, जल्दी से राजगद्दी पे हँगने की व्यवस्था कीजिये"।
अकबर ने फटती गांड के साथ बीरबल की तरफ देखा।
बीरबल तो बहेन का लौड़ा हँसी हँस रहा था।
अपनी सीट से खड़ा हुआ और बोला : "जमनाबाई , तुमने टट्टी करने की डिमांड की थी, सो कर ले लेकिन अगर एक बूँद भी मूत निकला तो ये तलवार चूत में घुसा के गांड से निकाल दूँगा"।।
बीरबल rocked😎 रंडी shocked😳
ग्रुप की किसी का हो, गांड हम ही फाड़ते है।
नया है , पेलो किसी और के।
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