Tuesday, 27 June 2017

गुजरे हुए तूफ़ान के फ़कत निशान रह गए हैं

गुजरे हुए तूफ़ान के फ़कत निशान रह गए हैं 
टूटे हुए दिल में घायल अरमान रह गए हैं

किस को सुनाए हाल-ए-दिल, कौन अश्क देखेगा ?
अंधी बस्तियों में लोग बेजुबान रह गए हैं

धुआं उठता देखा रात सब ने घर से मेरे 
जलते दिल की आतिश से लोग अंजान रह गए हैं

वक्त के चाबूकों के निशान दिल पर है कायम 
अपनो के हम पर यही कुछ एहसान रह गए हैं

नाजुक दिल तोड़े जाते है शीशे समझ कर 
पत्थरों के शहर में पत्थर दिल इंसान रह गए हैं

Copied from Social Media Sites :)

Subscribe

loading...

Ad