Tuesday, 27 June 2017

संस्कार और परिवार (वास्तविक व्यंग)


*संस्कार और परिवार (वास्तविक व्यंग)*
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एक पार्क मे *दो बुजुर्ग* बैठे बातें कर रहे थे।

*पहला :-* मेरी एक पोती है, शादी के लायक है, BA किया है, Job करती है, कद 5.2 इंच है, सुंदर है, कोई लड़का नजर मे हो तो बताइएगा.!!

*दूसरा :-* आपकी पोती को किस तरह का परिवार चाहिए.??

*पहला :-* कुछ खास नही, लड़का ME/M.TECH किया हो, अपना घर हो, कार हो, घर मे एसी हो, अपने बाग बगीचा हो, अच्छा Job, अच्छी सैलरी, कोई लाख रू. तक हो।

*दूसरा :-* और कुछ.??

*पहला :-* हाँ सबसे जरूरी बात अकेला होना चाहिए। मां-बाप, भाई-बहन, नही होने चाहिए। वो कया है लड़ाई झगड़े होते है।

*दूसरे* की आँखें भर आई फिर आँसू पोछते हुए *बोला :-* मेरे एक दोस्त का पोता है। उसके भाई-बहन नही है, मां-बाप एक Accident मे चल बसे, अच्छी Job है, डेढ़ लाख सैलरी है, गाड़ी है बंगला है। मगर उसकी भी यही शर्त है लड़की वालों के भी मां-बाप, भाई-बहन या कोई रिश्तेदार ना हो (कहते कहते गला भर आया)।

*फिर बोले :-* अगर आपका परिवार आत्महत्या कर ले तो बात बन सकती है, आपकी पोती की शादी उससे हो जाएगी और वो बहुत सुखी रहेगी.!

*पहला :-* ये क्या बकवास है, हमारा परिवार क्यो आत्महत्या करे.? कल को उसकी खुशियों मे दु:ख मे कौन उसके साथ उसके पास होगा.?

*दूसरा :-* वाह मेरे दोस्त…! खुद का परिवार, और दूसरे का कुछ नही, मेरे दोस्त अपने बच्चो को परिवार का महत्व समझाओ, घर के बड़े, घर के छोटे सभी अपनो के लिए जरूरी होते है वरना इंसान खुशियों का और गम का महत्व ही भूल जाएगा, जिंदगी नीरस बन जाएगी।

*पहल वाले बुजुर्ग* बेहद शर्मिंदा थे।
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*दोस्तों परिवार है तो जीवन मे हर खुशी, खुशी लगती है। अगर परिवार नही तो किससे अपनी खुशियाँ और गम बांटोगे।*

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