Tuesday, 27 June 2017

मेरी माँ को

गिनती नही आती मेरी माँ को यारों,
मैं एक रोटी मांगता हूँ वो हमेशा दो ही लेकर आती है.
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जन्नत का हर लम्हा….दीदार किया था
गोद मे उठाकर जब मॉ ने प्यार किया था
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सब कह रहें हैं
आज माँ का दिन है
वो कौन सा दिन है..
जो मां के बिन है
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*सन्नाटा छा* गया *बटवारे* के *किस्से* में...🙏🏻

जब *माँ* ने पूछा *मैं* हूँ किसके *हिस्से* में.....!!!
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*.... घर की इस बार*

*मुकम्मल तलाशी लूंगा!*

*पता नहीं ग़म छुपाकर*

*हमारे मां बाप कहां रखते थे...?*😔
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*एक अच्छी माँ हर किसी*
*के पास होती है लेकिन...*

*एक अच्छी औलाद हर*
*माँ के पास नहीं होती...*
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जब जब कागज पर लिखा , मैने 'माँ' का नाम 
कलम अदब से बोल उठी , हो गये चारो धाम
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माँ से छोटा कोई शब्द हो तो बताओ

उससे बडा भी कोई हो तो भी बताना.....
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मंजिल दूर और सफ़र बहुत है .
छोटी सी जिन्दगी की फिकर बहुत है .
मार डालती ये दुनिया कब की हमे .
लेकिन "माँ" की दुआओं में असर बहुत है .🙂
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*👵🏻माँ को देख,*
*मुस्कुरा😊 लिया करो..*

*क्या पता किस्मत में*
*तीर्थ लिखा ही ना हो*
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*​मृत्यु के लिए बहुत रास्ते हैं ​पर*....
*जन्म लेने के लिए ​केवल*
*माँ​​* .
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माँ के लिए क्या लिखूँ ? माँ ने खुद मुझे लिखा है 🙏 😘
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*दवा असर ना करें तो* 
*नजर उतारती है*

*माँ है जनाब...*
*वो कहाँ हार मानती है*।

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