Saturday, 3 June 2017

वो माँ है, पत्नी है, बहन है, बेटी है,

सुनो............!!! :) :) :)
वो माँ है, पत्नी है, 
बहन है, बेटी है, 
मान है, मर्यादा है, 
सम्मान है, लाज है, 
अच्छी है बुरी है, 
पवीत्र है
सब पुरुष के हिसाब से ही क्यों...??
उसे उसके हिसाब से क्यों नहीं जीने दिया जाता.....??
उसे उसके सपने क्यों नहीं देखने या पुरे करने दिए जाते...??
वो ही क्यों समर्पण करे अपनी इच्छाओं का, अपनी भावनाओं का...?? 
वो क्यों तोड़े अपने सपने...??
वो ही क्यों छोड़े सब अपने...??
उसे ही क्यों बाँधी जाती है परम्पराओं की जंजीरों से...?? 
वो ही देती है अग्नि परीक्षा हर बार, 
क्यों माने वो ही हर सोच को, 
क्यों नहीं मिलता उसे अपने विचार रखने का अधिकार, 
क्यों रोकी जाती है उसकी उड़ान, 
अब उसे खुद ही लड़ना है, 
भूल कर शब्द अबला उसे खुद ही बनना है सबला...
वो अन्नपूर्णा बन सकती है तो दुर्गा भी वही बनेगी...
जब सृष्टि को जन्म दे सकती है तो सृष्टि से अपना हक, अपना सम्मान भी लेना जानती है वो...
वो सिर्फ नारी नहीं है...
जननी है, 
जीवनसंगिनी है, 
कई रिश्तों में पुरुष की सहभागी है.......!!
ღ•~ :) ~•ღ

Good night sweet friends

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