Thursday, 11 May 2017

Hindi Poem - न जागे हुए हैं .न सोये हुए हैं ।

न जागे हुए हैं .न सोये हुए हैं ।
किसी की तस्सव्वुर में खोए हुए हैं ।
शिकस्त-ए-तमन्ना का ईनाम कहिए ।
कि पलकों में आंसू पिरोये हुए हैं । 
 तुम्हारी हंसी पर हंसी आ रही है ।
कि हम जिंदगी पर रोये हुए हैं ।
कहां ढूंढ़ता मैं किसी की मुहब्बत ।
तेरे नफरत ही दिल में संजोये हुए हैं ।
ये निखरा हुआ रंग यूं ही नहीं है ।
हम अश्कों से चेहरे को धोये हुए हैं ।

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