Monday, 29 May 2017

मौका ऐसे भी, न कभी गंवाते रहिये;

मौका ऐसे भी, न कभी गंवाते रहिये;
वक्त पर किसी के काम, आते रहिये!

कोई कैसे पढ़ेगा, आपके चेहरों को;
ग़म में यूं इस तरह, मुस्कराते रहिये!

जाने कब कहाँ, धोका देदे जिन्दगी;
मेलजोल अपनों से भी, बड़ाते रहिये!

बुरे कर्मों का फ़ल, भुगतना पड़ेगा ही;
गंगा में ख़ूब डूबकियां, लगाते रहिये!

इससे बड़के पुण्य का, काम क्या होगा;
गिरे हुये को अक्सर ही, उठाते रहिये!

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