थोड़ी तल्खी भी तबीयत में बहुत लाजमी है,
लोग पी जाते,
जो समन्दर न खारा होता..
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जो लहू से न लिखी जाय कहानी क्या है ।
वक्त का रुख न बदल दे वो रवानी क्या है ।
मुश्किलें, हार, थकन बात है कमजोरों की ।
जो न तूफान से टकराय जवानी क्या है ।
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कुछ ऐसे ही जिंदगी का साथ निभाया हमने ।
दिल के हर दर्द को इक गीत बनाया हमने ।
कौन रखता उनसे मिले जख्मों का हिशाब ।
अपने हर जख्म को अश्कों से सजाया हमने ।
हमने जाना ही नहीं फर्क किसी मजहब का ।
तू जहां भी दिखा सिर को झुकाया हमने ।
खोजने हम कहां जाते तू कहां रहता है ।
अंधेरी राह में ही दीप जलाया हमने ।
यूं तो मिलने को दुनिया से मिल गया सबकुछ ।
पर तेरी दोस्ती ऐ दोस्त न पाया हमने ।