झमाझम बारिश हो रही है! वो बालकनी मे बैठा है! एक हाथ में पूरी कप भारी चाय और दूसरे में एक आधी जली हुई गोदंग गरम सिगरेट! ये वो सिगरेट है जो ३ दिन में चौथी बार जलायी जा रही है!
सामने की बालकनी में हलचल हो रही है! शायद उसको भी पता चल चुका है के लड़का आगया है! पीला सूट और और उसपे लाल काला कढ़ाई किया हुआ दुपट्टा जो उसने कमर में बाँध रखा है एक काग़ज़ की नाव लेके छत पे आ चुकी है! अपनी नाव वो धीरे से तैरा रही है और इधर लड़के की नाव डूबती जा रही है! लड़के ने झट से सिगरेट बुझा के दीवार के बग़ल फेंक दी है!
लड़की एक टक लड़के को देख रही है! लड़का लड़की को टकटकी लगाते हुए निहार रहा है! पानी तेज़ हो रहा है! लड़की पे पानी पड़ रहा है और भीग लड़का रहा है! मम्मी बुला रही हैं, लड़की आवाज़ को अनसुना कर के ताड़ती जा रही है! लड़का लड़की को इशारा कर रहा है.. लड़की समझ नही पा रही है! लड़का हाथ दिखा के इशारा कर रहा है.. लड़की मुसकियायी जा रही है! (हवा में उड़ती हुई एक चप्पल लड़की की पीठ पे लगती है और मम्मी की आवाज़ आती है.. "बहरी हो गयी है रे का?) मम्मी के आते ही लड़के ने नज़र फेर ली है!
लड़की मुसकिया रही है लड़का मुसकिया रहा है! बारिश हंस रही है! पड़ोसी ठहाके लगा रहे हैं! मौसम ख़ुशनुमा हो रहा है!
सच! बारिश में इश्क़ की पकौड़ी, चाय की आँच पे अहिस्ता आहिस्ता पकती है! और आहिस्ता पका इश्क़ हमेशा लज़ीज़ ही होता है!