Friday, 7 July 2017

Sahi Baat - धीरे धीरे कितने नाजायज़ ख़र्च से जुड़ते गए है हम

धीरे धीरे कितने नाजायज़ ख़र्च से जुड़ते गए है हम

टॉयलेट धोने का हार्पिक अलग,

बाथरूम धोने का अलग.

टॉयलेट की बदबू दूर करने के लिए खुशबु छोड़ने वाली टिकिया भी जरुरी है.
कपडे हाथ से धो रहे हो तो अलगवाशिंग पाउडर
और 
मशीन से धो रहे हो तो खास तरह का पाउडर

नहीं तो तुम्हारी 20000 की मशीन बकेट से ज्यादा कुछ नहीं.
और हाँ कॉलर का मैल हटाने का वेनिश तो घर में होगा ही,
हाथ धोने के लिए 
नहाने वाला साबुन तो दूर की बात, 
एंटीसेप्टिक सोप भी काम में नहीं ले सकते,

लिक्विड ही यूज करो

साबुन से कीटाणु ट्रांसफर होते है

(ये तो वो ही बात हो गई कि कीड़े मारनेवाली दवा में कीड़े पड़ गए)

बाल धोने के लिए शैम्पू ही पर्याप्त नहीं , 
कंडीशनर भी जरुरी है,

फिर बॉडी लोशन,
फेस वाश, 
डियोड्रेंट, 
हेयर जेल, 
सनस्क्रीन क्रीम, 
स्क्रब, 
गोरा बनाने वाली क्रीम

काम में लेना अनिवार्य है ही.

और हाँ दूध 
( जो खुद शक्तिवर्धक है) 
की शक्ति बढाने के लिए हॉर्लिक्स मिलाना तो भूले नहीं न आप...
मुन्ने का हॉर्लिक्स अलग,
मुन्ने की मम्मी का अलग,
और मुन्ने के पापा का डिफरेंट.

साँस की बदबू दूर करने के लिये ब्रश करना ही पर्याप्त नहीं, 
माउथ वाश से कुल्ले करना भी जरुरी है....

तो श्रीमान मुस्सदीलाल जी...

10-15 साल पहले जिस घर का खर्च 8हज़ार में आसानी से चल जाता था

आज उसी का बजट 40 हजार को पार कर गया है

तो उसमें सारा दोष महंगाई का ही नहीं है,
कुछ हमारी बदलती सोच भी है 
सोचो..

सीमित साधनों के साथ स्वदेशी जीवन शैली अपनायें, देश का पैसा बचाएं । जितना हो सके साधारण जीवन शैली अपनाये ! जय हिंद

Copied from Social Media Sites :)

Subscribe

loading...

Ad