Saturday, 8 July 2017

Hindi Story - दोहरापन


दोहरापन
"अरे बहु, तुझे मैंने मुन्ना के नहाने के लिए पानी गरम करने को बोला था, किया कि नहीं?" "जी माँ जी, बस इनके नाश्ते की तय्यारी कर रही हूँ, इन्हें ऑफिस के लिए देर हो रही है, वो करते ही मुन्ना भैया का पानी गरम कर दूंगी." "कैसी आलसी बहु आई है. कितना धीरे धीरे करती है सारा काम. पति की खातिरदारी में लगी रहती है और देवर के लिए पानी गरम करने की बात आई, तो वो बाद में करेगी महारानी." चिढ़ते हुए शकुंतला ने अपने पति, गिरीश से बोला. "इंसान है वो. बेचारी सुबह 6 बजे से उठकर सबका काम करती है दिन भर, उसपर भी तुम उसे सुनाती हो. थोडा बख्श दो बेचारी को." गिरीश के ऐसे जवाब की शकुंतला ने कामना नहीं की थी. "क्या बख्श दो जी, तुम्हारी अम्मा हमें सुबह 5 बजे उठाकर किचन में झोंक देती थी और 11 बजे से पहले सोने नहीं देती थी. हम पे तो किसी ने रहम नहीं किया." "अरे बहु, जरा अपने ससुर जी के लिए एक कड़क चाय तो लाना." चिल्लाते हुए शकुंतला ने आदेश दिया. तभी फ़ोन की घंटी बज उठी. शकुंतला ने फ़ोन उठाया तो पता चला उसकी बेटी, प्रीती का कॉल है. "हाँ प्रीती, खुश रहो. कैसे समय बीत रहा है ससुराल में? .... सुन अपनी सास को ज्यादा सर पे मत चढ़ाना, अपने ऊपर ज्यादा ज़िम्मेदारी मत ले लेना...ठीक है...वर्ना आदत बिगाड़ जाएँगी उनकी ... और सबसे पहले अपनी सेहत का ख्याल रखना... कैसे नाजों में पाला है मैंने अपनी बेटी को... कुछ काम करने नहीं दिया.. नींद तो पूरी होती ना तेरी बेटा......."
"पिताजी चाय" बहु ने गिरीश को चाय थमाई. शकुंतला का "दोहरापन" देख के, गरम चाय की घूँट के साथ गिरीश अपना गुस्सा भी साथ में निगल गए.

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